Dark Pattern के गेम- यात्रियों को 'झांसा' दे रही एयरलाइंस! चुपके से काटती हैं जेब; सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा
Dark Pattern एक तरह का यूजर इंटरफेस होता है जो इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि इससे कंपनी का फायदा हो सके. जानिए इसका इस्तेमाल करके कैसे एयरलाइंस यात्रियों को मैनिपुलेट करती हैं और उनकी जेब काटती हैं.
हवाई यात्रियों (Flight Pessengers) के साथ एयरलाइंस का डार्क पैटर्न का खेल अब भी जारी है. लोकल सर्किल के सर्वे की मानें तो इससे 60% से अधिक यात्री प्रभावित हैं. ये कंपनियां ड्रिप प्राइस, False Urgency, एयरलाइन ऐप और वेबसाइट पर सेवा की जबरन खरीद और वापसी का मुश्किल तरीका अपना रही हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है Dark Pattern, कैसे कंपनीज इससे ग्राहकों को चूना लगाती हैं और इस मामले में लोकल सर्किल का सर्वे क्या कहता है?
पहले समझिए क्या है Dark Pattern
Dark Pattern एक तरह का यूजर इंटरफेस होता है जो इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि इससे कंपनी का फायदा हो सके. कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर प्राइसिंग और प्रोडक्ट डीटेल्स से जुड़ी कुछ चीजें हाइड करती हैं या ऐसी जगह रखती हैं जहां यूजर्स को दिखता नहीं. कई बार प्रोडक्ट खरीदने के लिए कंपनीज एक अर्जेंसी बना देती हैं. जैसे आपको कोई बेहतर डील कुछ समय के लिए दिखती है, उस पर टाइमर लगा होता है. ऐसे में ग्राहक को लगता है कि इसे अभी नहीं खरीदा तो उसे ऑफर्स का फायदा नहीं मिल पाएगा और वो फटाफट वो प्रोडक्ट खरीद लेता है. कुल मिलाकर कहें तो Dark Pattern के जरिए कंपनियां ग्राहकों को मैनिपुलेट करती हैं, जिससे वो उनका प्रोडक्ट खरीद लेते हैं. डार्क पैटर्न सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं होता है, बल्कि कंपनियां इसे ऑफलाइन भी करती हैं.
एयरलाइंस कैसे करती हैं डार्क पैटर्न का इस्तेमाल
जब आप किसी कंपनी की फ्लाइट बुक करने जाते हैं, तो कई बार यात्रियों को दिखता है कि ज्यादातर सीट्स बुक हो चुकी हैं और कुछ ही सीट बाकी बची हैं. ऐसे में यात्री हड़बड़ाहट में अपनी सीटें बुक करा लेते हैं और इस तरह एयरलाइन बहुत आसानी से अपनी सीट आपको बेच देती है. हालांकि ये एक उदाहरण है, इसके अलावा भी डार्क पैटर्न के कई तरीके कंपनियां अपनाती हैं.
जानिए क्या कहती है सर्वे की रिपोर्ट
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इस मामले में लोकल सर्वे ने देश के 322 जिलों में 20,000 से अधिक फ़्लायर्स से बात की और 55,000 से अधिक प्रतिक्रिया के आधार पर दावा किया है. जानिए क्या कहती है सर्वे की रिपोर्ट-
- 40% यात्री बास्केट स्नीकिंग यानी समान खो जाने के शिकार.
- 72% उपभोक्ताओं ने महसूस किया कि अगर एक ही जगह के लिए कई बार सर्च करें तो हरबार बढ़ जाता है किराया.
- 62% उपभोक्ता ये कहते हैं कि उन्हें ऐसे मैसेज दिखने शुरू हो जाते हैं, जहां अभी बुक करें नहीं तो किराया बढ़ जाएगा, ऐसी False Urgency से यात्री ठगे जाते हैं.
- इतने ही लोगों को Hiden Charges का सामना करना पड़ा, जहां बुकिंग के समय दाम कम दिखता और बुकिंग के दौरान किराया अचानक से बढ़ गया.
09:47 AM IST